मय में भी नशा हैं
मय में भी नशा है….
लेकिन उस रुख़ – ए – रोशन की ख़ूबसूरती से कम नहीं…
हूँ जब आज , मुस्कुराहट के आगोश में ….
तो दिल कहे ,
अब कोई गम नहीं …
जिस दिन उंगलिया छोड़ दे , क़लम का साथ ….
तो समझ लेना , इस दुनिया में हम नहीं…..
मय में भी नशा है….
लेकिन उस रुख़ – ए – रोशन की ख़ूबसूरती से कम नहीं…
हूँ जब आज , मुस्कुराहट के आगोश में ….
तो दिल कहे ,
अब कोई गम नहीं …
जिस दिन उंगलिया छोड़ दे , क़लम का साथ ….
तो समझ लेना , इस दुनिया में हम नहीं…..
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manbhavan rachna!
nice 🙂
Sukkriyaaaaa……frndssss
Tnqu……frndssss
nice
Very good poem
रूमनियत भरी पंक्तियां