माँ मेरी
संघर्षों में जीवन की तू परिभाषा कहलाती है,
रंग बिरंगी तितली सी तू इधर उधर मंडराती है,
खुद को पल- पल उलझा कर तू हर मुश्किल सुलझाती है,
खुली हवा में खोल के बाहें तू मन ही मन मुस्काती है,
आँखे बड़ी दिखाकर तू जब खुद बच्ची बन जाती है,
मेरे ख़्वाबों को वहम नहीं तू लक्ष्य सही दिखलाती है।।
जो भी मिले किरदार निभा कर दृष्टि में सबकी आती है,
बस एक माँ ही है जो हर दिल की पूरी दुनियाँ कहलाती है।।
राही (अंजाना)
I love my mom
Mast
Nice
Nice poem by (Sam)
बहुत ही सुन्दर आपके द्वारा रचित कविता लाजवाब बेहतरीन बहुत ही उम्दा भाई जी
Bahut achha
Nice
Very nice
Nice one
Good lvu maa
good
Very nyc
Nice poem
Nice
Very nice…
Nice sir ji
Nice Bhai….
Waah
Osm
Waah
Giod
Waah
Waah
Sir
Gud
Amazing poetry ??
Nice
वाह वाह