माँ
कुछ खास नहीं था कहना ,
कुछ बात नहीं था कहना ,
जो बोल न पाया ख्यालों की अंजुमन मैं ,
बिन बोले तुम तक वह बात पहुंच गयी ,
आस्चर्य मैं पढ़ जाता हूँ मैं ,
मेरे दिन की रहमत होगी जरूर तुम ,
नहीं तोह तुम तक मेरी हर अनकही बात कैसे पहुंच जाती हैं
कुछ खास नहीं था कहना ,
कुछ बात नहीं था कहना ,
जो बोल न पाया ख्यालों की अंजुमन मैं ,
बिन बोले तुम तक वह बात पहुंच गयी ,
आस्चर्य मैं पढ़ जाता हूँ मैं ,
मेरे दिन की रहमत होगी जरूर तुम ,
नहीं तोह तुम तक मेरी हर अनकही बात कैसे पहुंच जाती हैं
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nice
Behad umda kavita
एक शब्द जिसमें , ख़ुदा का हर राज़ छुपा हैं ….
वो हैं …
\” माँ \”…..
waah..! well said.. 🙂
emotional…
Touching lines
touched my heart
Waah waah