Categories: मैथिली कविता
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मिथिलाधाम
पूव बहति कोशी महारानी उत्तर पर्वतराज हिमालय । पच्छिम गंडकी गंग नारायणी दक्षिण सुरसरि गंग नीरालय।। मध्य विदेहक धाम विराजित सुन्दर अति सुखधाम। ‘विनयचंद ‘ई…
सुन्दर सुन्दर सपने अपने
कविता सुन्दर सुन्दर सपने अपने, सुन्दर अपना हिन्दुस्तान है। जहां बहती नदिया झरने, करती दुनिया गुणगान है। सुन्दर सुन्दर – – – – कर्म धर्म…
सुन्दर तेरी रचना
सुन्दर तेरी रचना अति सुन्दर तेरी रचना विधाता रंग बिरंगी सृष्टि रची, जा में नाना तरह जीवजाति बसी। नाना तरह की, विविध तरह जीवन ज्योति…
मेरे भारत की शान निराली
मेरे भारत की शान निराली, सुंदरता के क्या कहने देखो कश्मीर, हिमालय के ऊँचे – ऊँचे निर्मल पर्वत, सुंदरता से हैं भरे हुए भारत माँ…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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वाह
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