Categories: मुक्तक
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झूठ का पाश
खुद को,झूठ के एक लौह जाल में घेर लिया तुमने झूठ का ये लिहाफ़,क्यों ओढ़ लिया तुमने, ये भी झूठ और वो भी झूठ, हर…
कविता : हौसला
हौसला निशीथ में व्योम का विस्तार है हौसला विहान में बाल रवि का भास है नाउम्मीदी में है हौसला खिलती हुई एक कली हौसला ही…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
सीमा पर कितने धूर्त?
सीमा पर कितने धूर्त और मक्कार हैं अपनी सेना का मनोबल ना गिरने पाए इस बात का भारतीय रखते खूब ख्याल हैं।
माखनचोर
मात हमारी यशोदा प्यारी,सुनले मोहे कहे गिरिधारी नहीं माखन मैनु निरखत है,झूठ कहत हैं ग्वालननारी। मैं तेरो भोला लला हूँ माता,मुझे कहाँ चुरवन है आत…
सुन्दरतम
👏👏
Nyc
Good