Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: शायरी

UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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पथरों के शहर
पथरों के शहर बस्ती है यह पथरों की शहर जिसे कहते लोग बस्ती यह ऊँची मंजिलों की जहां छोटे दिल के बस्ते लोग बस्ती…
चश्मे
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फकीर
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ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता
ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता.. अपने आप चल पड़ते कदम य़ु तन्हा ना य़े सफर होता…. वक्त बिताने को आवाज देती दीवारे साथ छुटने का ना कोई…
वाह बहुत सुंदर
Very good