मेरी बिटिया
🧕 मेरी बिटिया🧕
By Naveen Dwivedi
दिल रो रहा है टूट कर,
कैसी होगी मेरी बेटी ?
इस पातक भरे समाज मे,
खा जाते हैं बोटी-बोटी।
कैसी होगी मेरी बेटी ?
जब छोटी-सी थी वो,
अपने सपने देखे थे।
अम्मा,बापू व परिजन के,
प्रेम में रहती लोटी लोटी।
कैसी होगी मेरी बेटी ?
हुई बड़ी जब अपने आँगन में,
सुमनों सा यौवन था।
फिर समाज की घृणित आँख से,
करते उसको टोका टोकी।
कैसी होगी मेरी बेटी ?
क्या पता था कि ,इक
ऐसा भी दिन आऐगा।
खीच रहा होगा जब चीर दुशासन,
गुल होंगी समाज की सिट्टी पिट्टी।
कैसी होगी मेरी बेटी ?
चीखी भी चिल्लाई थी,
आंखे मौन हुई सब देखी थी।
भीख मांगती थी जीवन की,
कहती सबसे रोती-रोती ।
कैसी होगी मेरी बेटी ?
कैसे सोया होगा आसमां,
कैसी सोई होगी ज़मी।
घर आँगन सब सूना,
लिपट रूह से जब ‘माँ’ है रोती।
कैसी होगी मेरी बेटी ?
कैसी होगी मेरी बेटी ?
Good
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Nice lines
अतिउत्तम
सुन्दर
सुन्दर
मार्मिक
Nice