मेरे कमरे में…
आज अचानक माँ मुस्काई
फोन उठाने के बाद
बोलीं आकर खुशखबरी है
बैठी मेरे पास
सबने पूँछा क्या खुशखबरी
ये तो हमें बताओ
उत्सुकता में दिल धड़क रहा है
और ना अब तड़पाओ
उसकी शादी तय हो गई है
निमन्त्रण आया है
उन लोगों ने हम सबको
सपरिवार बुलाया है
मैं हँस दी सबके समक्ष
रोई जाकर कमरे में
दिल टूट गया, हाँथों से सपने
बिखर गए एक पल में
आज लगा मेरे दो चेहरे हैं
एक घर में, एक कमरे में।।
वाह वाह, क्या बात है
धन्यवाद
Marmik bhav
थैंक्स
” दिल के जज्बातों को जब जब किया बयां
एक कविता हर बार हुई”…..बहुत सुंदर प्रज्ञा जी
इतनी अच्छी समीक्षा करने के लिए धन्यवाद।
Welcome sis .
ये मेरी कविता “हृदय की वेदना “से है
Very nice
Thanks n welcome
behad bhawapurn rachnaa
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया
वाह क्या बात है।
भावपक्ष तथा कलापक्ष मजबूत।
Nice line….
धन्यवाद
बहुत सुंदर भाव
बेहतरीन प्रस्तुति