मेरे कमरे में…

आज अचानक माँ मुस्काई
फोन उठाने के बाद
बोलीं आकर खुशखबरी है
बैठी मेरे पास
सबने पूँछा क्या खुशखबरी
ये तो हमें बताओ
उत्सुकता में दिल धड़क रहा है
और ना अब तड़पाओ
उसकी शादी तय हो गई है
निमन्त्रण आया है
उन लोगों ने हम सबको
सपरिवार बुलाया है
मैं हँस दी सबके समक्ष
रोई जाकर कमरे में
दिल टूट गया, हाँथों से सपने
बिखर गए एक पल में
आज लगा मेरे दो चेहरे हैं
एक घर में, एक कमरे में।।

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Responses

  1. ” दिल के जज्बातों को जब जब किया बयां
    एक कविता हर बार हुई”…..बहुत सुंदर प्रज्ञा जी

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