” मेरे माधव ही नहीं आप सब “
मेरे माधव ही नहीं आप सब …
राह – ए – क़ामयाबी में , मेरी तरह एक मुसाफ़िर भी हो ….
भरने फ़लक – ए – क़ामयाबी पर ऊंची उड़ान ……
मेरे संग उड़ने वाले तायर हो …
जिल्ले – सुभानी – ए – अल्फ़ाज़ हो …..
और सुखनवरी की दुनिया के क्या बेहतरीन सुख़नवर हो …. ….
पंकजोम ” प्रेम “….
तायर – पंछी
जिल्ले – सुभानी – सम्राट
सुख़नवर – शायर , कवि
सुखनवरी – शायरी , कविता
मेरे माधव ही नहीं आप सब …
राह – ए – क़ामयाबी में , मेरी तरह एक मुसाफ़िर भी हो ….
भरने फ़लक – ए – क़ामयाबी पर ऊंची उड़ान ……
मेरे संग उड़ने वाले तायर हो ……gazab yaar
Sukkriyaaaa bhai…
koshish or khwaish he hamari arse se
hum bhi aapki tarah shaayar ho…
rub mehar krenge………mohit gi
man to madodkar rakh diya aapki kavita ne..nice
ye to suruwaat h…….abhi dil or khulna baaaki h……kapil ji
waah..! nice words chosen..
Sukkriyaa komal ji….
nice poem pankaj
Thanqu ji…..
सुंदर
उत्कृष्ट रचना