मैं बदला नहीं
माफ़ करना मेरी आदत है, इसमें दो मत नहीं।
मैं बदला नहीं, बदला लेना मेरी फ़ितरत नहीं।
मैं जहाँ था वहीं हूँ, मैं वही हूँ और वही रहूँगा,
लिबास की तरह बदलने की मेरी आदत नहीं।
मैं कभी सूख जाऊँ या फिर कभी सैलाब लाऊँ,
गहरा समंदर हूँ, मुझमें दरिया सी हरकत नहीं।
शजर की झुकी डाल हूँ, पत्थर मारो या तोड़ लो,
फल ही दूँगा, बदले में कुछ पाने की हसरत नहीं।
आज कल मिलते हैं लोग, यहाँ बस मतलब से,
बगैर मतलब मिलने की, किसी को फुर्सत नहीं।
देवेश साखरे ‘देव’
शजर- पेड़
Bahut khub
शुक्रिया
Wah
धन्यवाद
साफगोई
शुक्रिया
वाह
धन्यवाद
Good
Thanks
🙏🙏
Thanks
वाह