Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: #shayri
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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ऐ मेरी याद-ए-उल्फत सुन
‘ऐ मेरी याद-ए-उल्फत सुन, तू इतना काम कर देना, जो उसको भूलना चाहूँ, मुझे नाकाम कर देना.. सुबह का वास्ता किससे, सहर की राह किसको…
” बड़ी फ़ुरसत में मिला मुझ से ख़ुदा है…”
मेरी सांसो में तू महकता हैँ क़ायनात – ए – ग़ैरों में तू ही अपना लगता हैँ 1 . होंठों की ख़ामोशी समझा…
दरके आइनों को
दरके आइनों को नाज़ुकी की जरूरत है गर आ जाएँ इल्ज़ाम यही तो उल्फत है फासले वस्ल के यू सायें से बढ़े जाते है ये…
तेरी उल्फत से
तेरी उल्फत से वाकिफ था मगर लुत्फ़ बेवफाई का उठाने निकला राजेश’अरमान’
याद ए उल्फत
कुछ दिन संभालो जरा, अपनी याद- ए -उल्फत तुम, कि पुरानी चोट सर्दी में दर्द बहुत देती हैं।। AK
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