रूक जाना विकल्प नहीं
सडकें ठहर गई सी लगती हैं
हर तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा है
बचकर निकलना अब चमन में
फूलों के संग मिल गया कांटा है।
कोरोना का कहर कहें या कहें
प्रकृति से खिलवाड़ की सजा
जो कल तक बस मस्त मलंग रहे
आज कर रहे इंकार लेने से मजा।
कोरोना काल में जीने का तरीका
हर किसी को हर हाल में बदलना होगा
थक कर रुक जाना विकल्प नहीं
उठकर सम्हलना और फिर चलना होगा।
वीरेंद्र
Wah wah
सड़कें
👌
सही बात
सड़कों का मानवीकरण किया गया है