रूह इश्क जिस्म से कहीं ज्यादा लगा बैठी

जिस्म और रूह की कश्मकश में

रूह इश्क जिस्म से कहीं ज्यादा लगा बैठी

रूह मेरी पिरो कर मेरे ज़ज़्बातो को खुदमें

बन गले का हार तेरा, ख़ुद को सजा बैठी

 

                                 …… यूई

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

मेरे शिव

ओ मेरे शिव, मैं सच में तुमसे प्यार कर बैठी सबने कहा , क्या मिलेगा मुझे उस योगी के संग जिसका कोई आवास नहीं वो…

Responses

+

New Report

Close