Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
ओमप्रकाश चंदेल
कविता, गीत, कहानी लेखन
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क्यूं नहीं समझते
हम क्यूं नहीं समझ पाते हैं मजदूरों की लाचारी को, उधारी का ठप्पा लगाकर ना देते पैसे मजदूरों की दिहाड़ी को, मजदूर दिवस मनाने को…
आंसू तेरी भी रही होगी कोई कहानी कही
आंसू तेरी भी रही होगी कोई कहानी कही सोचता हु कभी-कभी में, की ऐ आंसू , तेरी भी तो रही होगी कोई कहानी कही ,…
मजदूरो के बच्चे
मेरे घर के सामने मजदूरो का जमावड़ा लगा था ईंटो का ढेर बड़ा था शायद कोई बंगला बन रहा था. कोई मजदूर ईंटे ढो रहा…
इक नई कहानी
#सुप्रभात_मित्रों ******************************* नवभाव लिए है गीत मेरा, याद रहे यह, तुम्हें जुबानी मैं लिखता हूँ उम्मीद भरी, इक नई कहानी | ^^^^^^^^^०००^^^^^^^^^ हो मस्त मगन,…
umda…behatreen kavya rachna!
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर