Categories: मुक्तक
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वंदेमातरम् गाता हूँ
नारों में गाते रहने से कोई राष्ट्रवादी नहीं बन सकता। आजादी आजादी चिल्लाने से कोई गांधी नहीं बन सकता। भगत सिंह बनना है तो तुमको…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
वाह
सादर धन्यवाद जी
सटीक कथन
धन्यवाद
सुंदर
सादर धन्यवाद आदरणीया
🙏
बिल्कुल जी ! इतिहास गवाह है, जनता में जोश ,उत्साह, उमंग भरने वाले हमारे साहित्यकार ही थे। सच में साहित्य जनता का दर्पण है।
विद्वान रचनाकार मानुष जी , आपकी सुन्दर टिप्पणी हेतु सादर धन्यवाद व आभार
बहुत सुंदर
हार्दिक आभार
बिलकुल सही
धन्यवाद, आदरणीया
ऐसी कविता ही समय की मांग है
धन्यवाद जी
👌