Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: kavita

Anjali Gupta
In One Word.....Butterfly!
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दोस्ती
कभी बुलाये प्यार से कभी बुलाये मजाक से ज़िन्दगी की हर घडी ये साथ देती है दोस्ती होती ही ऐसी है दिल होवे गम में…
चल अम्बर अम्बर हो लें..
चल अम्बर अम्बर हो लें.. धरती की छाती खोलें.. ख्वाबों के बीज निकालें.. इन उम्मीदों में बो लें.. सागर की सतही बोलो.. कब शांत रहा…
कल किसने देखा कल आये या ना आये
कल किसने देखा कल आये या ना आये आज की तू परवाह कर ले कही यह भी चला ना जाये देख परायी चुपड़ी तेरा मन…
पहचान
बेकद्रों की महफ़िल मे कद्रदान ढूंढ रहा हूँ अनजान लोगो मे अपनी पहचान ढूंढ रहा हूँ अंधेरा करने वालों से रौशनी की मांग कर रहा…
nice
wah wah ji… bahut khoob
वाह बहुत सुंदर