Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
हवा
वसंती आयी वसंती आयी देखो देखो वसंती आयी साथ में हरियाली लायी फूलों की महक लायी भौरो को संग लेकर आयी ओंस की बूदो को…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
पुष्पों की अभिलाषा
हमने जीवन भर ही कांटे वाले बीज बोये और कांटे ही उगाए कभी पुष्पों की अभिलाषा भी ना की, परंतु बगीचे में जाने कहां से…
अपहरण
” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…
Nice
Happy basant panchami
वाह बहुत सुंदर
सुन्दर अभिव्यक्ति
Nice
Good