वो माटी के लाल

वो माटी के लाल हमारे,
जिनके फौलादी सीने थे,
अडिग इरादो ने जिनके,
आजादी के सपने बूने थे,
हाहाकार करती मानवता,
जूल्मो-सितम से आतंकित
थी जनता, भारत माता की
परतंत्रता ने उनको झकझोरा था,
हँसते-हँसते फाँसी के फँदे
को उन्होंने चूमा था,
वो माटी के लाल हमारे,
राजगुरू, सुखदेव,भगतसिंह ,
जैसे वीर निराले थे ,
धधक रही थी उनके,
रग-रग में स्वतंत्रता
बन कर लहू, वो दीवाने थे,
मतवाले थे, भारत माता के,
आजादी के परवाने थे,
बुलन्द इरादों ने जिनके,
स्वतंत्रता की मशाल जलायी थी ,
भारत माता की बेड़ियों को,
तोड़ने की बीड़ा उठायी थी,
अंग्रेजों के नापाक मनसूबों को,
खाक में मिलाने की कसम खायी थी,
वो देश के सपूत हमारे,
माटी के लाल अनमोल थे,
देश हित में न्यौछावर,
करने को अपने प्राणों की
बाजी लगायी थी, वो माटी के लाल,
हमारे माँ के दूध का कर्ज,
उतार चले,उनके जज्बों को
शत-शत नमन, बुलंद इरादों
को सलाम है,हर एक भारतवासी को,
उनके कारनामों पर गुमान है ।
आज फैल रही भ्रष्टाचार,
नारियों की अस्मिता पर,
हो रहे प्रहार से पाने को निजाद,
माँ भारती पुकार रही,
फिर अपने दिवाने,आजादी के
परवाने ,उन माटी के लालों
का पथ निहार रही ।।
Amazing 🙂
Thanks a lot
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Wonderfully written. Great emotions and excellent use of Words.
Thanks for encouraging, thanks a lot
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nice
Thanks a lot Sridhar ji
nice one
Thanks a lot Panna ji
nice 🙂
Thanks Dinesh ji
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Good
Jai ho