शुरुआत जरूरी है
हो चाहे कैसी भी घड़ी,
आंधी तूफ़ान की लगी हो लड़ी,
या मन को झुलसा रही हो अग्नि,
डर हो यदि आगे हार जाने की,
या फिर अपना सब खो देने की,
शुरुआत जरूरी है;
महल खड़ी करने को,
नीव बेहद जरूरी है,
मीठे फल खाने को
बीज बोना जरूरी है,
अँधेरे को बुझाने को,
लौ जलाना जरूरी है!
बस पहला कदम जो ले लिए
आगे कदम बढ़ते जायेंगे
हर कांटे पत्थर को पार करते जायेंगे,
अँधेरे राहों में भी रौशनी धुंध लेंगे,
बस वो पहला कदम जरूरी है
वो शुरुआत जरूरी है!
©अनुपम मिश्र
अतिसुंदर
पहले कदम की महत्ता को दर्शाती हुई सुंदर रचना