समवेत स्वर
एल एसी में शान्ति, विश्वास बहाली को हम प्रतिबद्ध हैं
मातृभूमि की अखंडता, संप्रभुता की रक्षा को तत्पर हैं ।
हमारा भारत शान्ति का हिमायती, हिंसा से दूर रहता है
बातचीत से ही मसले सुलझाने की ख्वाहिश रखता है ।
हमारे पङोसी की मंशा उकसावे की रहते आई है
हमरे मुल्क के संवाद, अहिंसा की नीति पे बन आई है ।
सुलझाना नहीं, उलझाना जिन्हें बस आता है
अशांति के पोषक को, शान्त रहना, कहाँ भाता है ।
उद्धत रवैया की भरपाई उन्हे भी करना होगा
इसकी कीमत उन्हे चुकाना है, यह समझना होगा ।
विश्वसनीयता पर छाया संकट, उनका कल कैसा होगा
विश्व समुदाय से अलग-थलग होके उन्हें रहना होगा ।
चीनी भयादोहन का सामना हमें मिलकर करना होगा
हर जन में विश्वास का बीज, सरकार को भरना होगा।
दुर्योग के मौकों पे,मतभेदों से इतर होके रहना होगा
विपक्ष को भी प्रतिबद्धता के समवेत स्वर भरना होगा ।
समवेत की आहट सरहद लाघ उनतक पहुंचाएगे
आत्मविश्वास के आगे कहाँ, खुद को रख पाएंगे ।
सुन्दर
सादर आभार
देशप्रेम की आपकी संवेदना बहुत ही काबिलेतारीफ है सुमन जी, आप बहुत ही नपा-तुला औऱ बेहतरीन लिखती हैं। इस कविता का शीर्षक ”समवेत स्वर” ही अपने आप मे जबरदस्त है। आपकी काव्य प्रतिभा को अभिवादन।
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर
सादर धन्यवाद
देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत बहुत सुंदर रचना
सादर आभार
Nice
Thanks
भारत देश की महानता एवं सिद्धांतों को बताते हुए चीन के गलत मनसूबों को उजागर करती बहुत सुन्दर कविता
बहुत सुंदर मैम
सुन्दर अभिव्यक्ति
सादर आभार ।आपके दो शब्द मुझमें असीम उर्जा का संचार करते हैं ।
मैने जब इस मंच पर प्रवेश किया था तब सर्वश्रेष्ठ कवि से आप सम्मानित थी। मैंने आपकी रचनाओं का गहन अध्ययन किया ।
सभी एक से बढ़कर एक और तब से ही आप मेरी सर्वोच्य बन गयी ।
आपका सानिध्य पाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है ।आप हर क्षेत्र में सफलता के सर्वोच्य शिखर पर आसीन हो !
अरे ! यह तो बहुत हो गया मैम मैं तो आपकी प्रशंसक हूँ..
चलो अच्छा है हम दोनो एक दूसरे को पसंद करते हैं बहुत बहुत आभार