सारा जहान बाक़ी है
थक कर बैठ गया क्यूं राही,
क्या अभी थकान बाक़ी है?
नहीं मिलती मंज़िल आसानी से,
अभी इम्तिहान बाक़ी है।
जीवन के संग्राम में , मिलेगी शह और मात भी,
घबराना नहीं है तुझको, अभी सारा जहान बाक़ी है
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थक कर बैठ गया क्यूं राही,
क्या अभी थकान बाक़ी है?
नहीं मिलती मंज़िल आसानी से,
अभी इम्तिहान बाक़ी है।
जीवन के संग्राम में , मिलेगी शह और मात भी,
घबराना नहीं है तुझको, अभी सारा जहान बाक़ी है
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सुन्दर
धन्यवाद 🙏
वाह, बिना थके हारे, मंजिल की ओर बढ़ने को प्रेरित करती सुन्दर कविता है
समीक्षा के लिए धन्यवाद सर 🙏
जीवन के संग्राम पर उत्तम रचना
Great
Thank you ji🙏
वाह जी वाह
Thanks Allot Piyush ji 🙏
very nice
Thanks Allot Indu ji 🙏