सिसकते जज्बात
सिसकते जज्बात हँसने लगे
तुम्हें देखकर
न जाने ऐसा क्या था तुममें!
जो मेरी बिखरी जिंदगी को
तुमने दो पल में ही समेट लिया।
और ऐसा समेटा
कि मैं कभी फिर बिखर ना सका।
टूटा तो बहुत बार
पर कभी संभल ना सका।
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - July 31, 2020, 7:20 am
सुंदर
Abhishek kumar - July 31, 2020, 8:33 am
धन्यवाद
Master sahab - July 31, 2020, 9:19 am
प्रेम की पराकाष्ठा को आपने बहुत ही कम शब्दों में पिरो कर अपनी बात कही है वापस आपका प्रखर है
Abhishek kumar - July 31, 2020, 10:12 am
🙏🙏
प्रतिमा चौधरी - September 26, 2020, 1:38 pm
बहुत सुंदर भाव