सोच की लाज

तूने सोच का जो बीज भरा

कुछ तो सोच के होगा भ्ररा

उस सोच की लाज रखता हूँ

हर कदम सोच के बडता हूँ

 

….. यूई

Related Articles

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

Responses

New Report

Close