स्त्री हूं पतंग नहीं

ऐ पुरूष सुन!
स्त्री हूं पतंग नहीं कि जिसकी डोर सदैव तुम्हारे हाथ में रहेगी…….

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“मैं स्त्री हूं”

सृष्टि कल्याण को कालकूट पिया था शिव ने, मैं भी जन्म से मृत्यु तक कालकूट ही पीती हूं।                                                    मैं स्त्री हूं।                                              (कालकूट –…

चलो पतंग उड़ाएं

चलो पतंग उड़ाएं लूट लें, काट लें पतंग उनकी सभी रंगीनियां अपनी बनायें चलो पतंग उड़ाएं चलो पतंग उड़ाएं। उनके चेहरे की खुशियों को चुराकर…

काल चक्र

काल चक्र में घूम रही, मैं कोना-कोना छान रही, हीरा पत्थर छाँट रही मैं, तिनका-तिनका जोड़ रही, उसमें भी कुछ हेर रही, संजोऊँ क्या मैं…

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