Categories: मुक्तक
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“मैं स्त्री हूं”
सृष्टि कल्याण को कालकूट पिया था शिव ने, मैं भी जन्म से मृत्यु तक कालकूट ही पीती हूं। मैं स्त्री हूं। (कालकूट –…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
चलो पतंग उड़ाएं
चलो पतंग उड़ाएं लूट लें, काट लें पतंग उनकी सभी रंगीनियां अपनी बनायें चलो पतंग उड़ाएं चलो पतंग उड़ाएं। उनके चेहरे की खुशियों को चुराकर…
गाडी के दो पहिए
मैं स्त्री हूँ , और सबका सम्मान रखना जानती हूँ कहना तो नहीं चाहती पर फिर भी कहना चाहती हूँ किसी को ठेस लगे इस…
काल चक्र
काल चक्र में घूम रही, मैं कोना-कोना छान रही, हीरा पत्थर छाँट रही मैं, तिनका-तिनका जोड़ रही, उसमें भी कुछ हेर रही, संजोऊँ क्या मैं…
सटीक
Thank you
superv
Thanks
सही एवं सुन्दर।
धन्यवाद
Sunder👏👏
Good
Good
सही कहा