हर सदी इश्क की
हर सदी इश्क की
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समुद्र पार रेतीले मैदान में उगते गुलाब,
नन्ही कोपलों से निकलते हरे पत्र, और नमकीन हवा में घुलती मिठास अनुराग की।
मानसिक विरोधाभास के बीच पनपता स्नेह
उम्र की सीमा से परे दो प्रेमी युगल।
अपना ही आसमां ढूंढते हैं।
स्वर्ण आभा युक्त,
सूरत से दमकते तेज पुंज
और स्वर लहरी का अनूठा संगम
जन्म देता है नेह के बंधन को।
शायद
पूर्वजन्म की अपूर्णता खींच लाई हो इस ओर।
रसीली मिठास,दूरियों से अनजान
अनूठे अंदाज से परिपूर्ण,
ये लाल इश्क।
निमिषा सिंघल
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - April 1, 2020, 7:10 am
Nice
NIMISHA SINGHAL - April 14, 2020, 2:41 pm
💐
Pragya Shukla - April 1, 2020, 2:07 pm
Good
NIMISHA SINGHAL - April 14, 2020, 2:42 pm
😍
Priya Choudhary - April 1, 2020, 4:25 pm
Nice