ज़ख्म
कहते हैं वक्त के साथ हर जख्म भर जाता है
पर वो जख्म कैसे भरे जो तुम हमें दे गए
मांग लिया होता दिल अपने आप ही दे देते
पर तुम सीना चीर कर निकाल ले गए.
ए जिंदगी कुछ शिफारिस लगा उनसे
समझ नहीं आता जियूं या मरूं
बिन दिल के धड़कन का क्या करूं
इस खाली जगह को अब मै कैसे भरुं.
दुख क्या होता है आज मुझे समझ में आया
जब ना मिले कभी तपते रेगिस्तान में छाया
दुख को रेत की तरह समझा और मुट्ठी से गिराया
बिसात क्या थी इसकी मेरी जिंदगी में जिसे मैंने
ठोकर मार कर धूल समझ उड़ाया.
बेवफा वो कैसी है गहरा दर्द देकर भी
दूर खड़ी मुस्काए
कह दो ना इस दर्द को तुम्हारी तरह बन जाए
ना मुझे याद करें और ना मेरे करीब आए.
सुंदर
धन्यवाद
वाह
धन्यवाद
Good
धन्यवाद
Good
धन्यवाद
Sunder
धन्यवाद
सही कहा