फ़िज़ाओं के बदलने का इंतज़ार..

‘फ़िज़ाओं के बदलने का इंतज़ार किसको है,
रुसवा शख्सियत हूँ मैं ऐतबार किसको है..
आज दर-बदर हूँ तो ये भी सोचता हूँ,
चलो देखता हूँ मुझसे प्यार किसको है..’

– प्रयाग

मायने :
रुसवा – बदनाम

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Responses

  1. बहुत सुंदर पंक्तियां
    बुरे समय में ही पता चलता है
    निस्वार्थ प्रेम करने वाले कितने हैं और मतलबी लोग कितने।

  2. वाह जनाब उम्मीद की चिराग जलाए बैठे है।
    चलो देखते है रहमत की बरसात कब होती है।।

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