Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मेरे पापा (हर पिता को समर्पित)
मेरे पापा (हर पिता को समर्पित) आज फिर ऊँगली पकड़ मुझे एक राह चलना सीखा दो पापा , कुछ यादें फिर साथ अपने रहे, कुछ बातें ऐसी बना…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मेरे पापा
अब मैं बड़ा हो गया हूं, पापा हो गए हैं बूढ़े निज परिवार में रमता जा रहा हूं, पापा को विस्मृत करता जा रहा हूं…
रोने वाले पापा (कहानी)
रोने वाले पापा मुकुल कितना भी गुस्सा हो ,मगर जब भी वह अपनी बेटी से मिलता हमेशा खुश और जिंदादिली दिखाता । दिनभर की…
उस वक्त से
नजदीकियों का पता नहीं दूरियां ऐसे लिपटी है मुझसे रोना था फिर भी कैसे सबर होता उस वक्त से || बीत जाता है वक्त खर्च…
खूब
🙏🙏🙏
nice
Thank you 😊🙏
Nice lines
धन्यवाद जी
सुन्दर
🙏
Nice
🙏
‘नन्ही नन्ही आंखें’ ‘छोटे छोटे हाथों’ जैसे सुंदर शब्द युग्मों का प्रयोग हुआ है, वात्सल्य की सुंदर फुहार है
वात्सल्य रस का तथा पुनरुक्ति अलंकार का सुंदर प्रयोग