अनमोल सा खजाना

वो नन्ही नन्ही आंखें मुझे निहारती रहती हैं
वो छोटे छोटे हाथों की शरारत ,
और होठों की चिल्लाहट ,
मुझे बुलाती रहती है ।
अब कितना सबर करूं? कि वो मुझे ;
कब पापा कहकर पुकारे,
मेरे अंदर की ये खुशियां मुझे जगाती रहती है!
मेरे अंदर की ये खुशियां मुझे जगाती रहती है।

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Responses

  1. ‘नन्ही नन्ही आंखें’ ‘छोटे छोटे हाथों’ जैसे सुंदर शब्द युग्मों का प्रयोग हुआ है, वात्सल्य की सुंदर फुहार है

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