अनोखा रिश्ता

दो मित्रों का जोड़ा भैया
अमर इतिहास बनाया था।
एक थे ब्राह्मण एक मुस्लिम थे
रिश्ता खास बनाया था।।
जंग- ए-आजादी में कूद गए थे
राम -लखन की जोड़ी बनकर।
“सरफरोशी की तमन्ना “गाए फिरते
गली-गली और घर-घर चलकर।।
क्रांति का पथ प्रशस्त किया
और मातृभूमि को वास बनाया था।। दो मित्रों ़़़़़़।।
हृदय एक थे दोनों के
बेशक़ तन थे अलग- अलग।
राम लखन संबोधन करते
जब भी होते अलग- अलग।
एक साथ हीं झूल गए थे
बली रज्जु खास बनाया था।। दो मित्रों ़़़।।
अमर अनोखा ऐतिहासिक रिश्ता
आखिर जग क्यों भूल रहा।
“सह न ववतु़़”का भाव सदा
भारतभूमि पे मूल रहा।।
‘विनयचंद ‘ जयचंद बनो ना
देश को दास बनाया था।। दो मित्रों ़़़़़।।

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