आंखों में मुहब्बत

उनकी आंखों में मुहब्बत
का जल है।
हमने समझा था बस वो
काजल है।
यकीन मानिए कि
इस तरह कभी हमने
उनकी आंखों की तरफ
गौर से देखा भी न था।
इस कदर मानता होगा हमको
हमने सच में कभी
इस बात को सोचा भी न था।

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Responses

  1. बहुत सुन्दर कविता है सर, लयबद्धता और श्रृंगार से भरी हुई है।
    “मुहब्बत का जल, और समझा था काजल” .. यमक़ अलंकार की सहज और सुन्दर प्रस्तुति आपकी लेखनी की विलक्षणता को दर्शाती है ।
    आपकी लेखनी को अभिवादन है सतीश जी ..

    1. इस बेहतरीन समीक्षा हेतु धन्यवाद शब्द भी नाकाफी है। आपके द्वारा किये गए उत्साहवर्धन हेतु सादर अभिवादन।

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