आइना पूंछता है

आइना पूंछता है
**********
यह सवाल हर रोज
मानती क्यूं नहीं सलाह मेरा ।
चेहरा वही है
क्यूं वक्त जाया करती है मेरा ‌
निखार आएगा कैसे
वही पहली सी फितरत है तेरा ‌
ज़िद का आवरण कुछ छाया है ऐसा
अच्छाइयों पर लगा बादल घनेरा ।
कुमकुम से रौनक आएगी कब तक
अंन्तर्मन में छाया हो शक का बसेरा ।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. व्यथित ह्रदय की सुन्दर अभिव्यक्ति प्रस्तुत करती हुई कवि सुमन जी की बहुत संजीदा रचना

+

New Report

Close