Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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इंसान और मै
इंसान और मै मन्दिर , मस्जिद नहीं देखता हूं उस में बेठा भगवान देखता हूं हिन्दू, मुस्लिम नहीं देखताहू इंसान में इंसान देखता हूं हैरान…
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मिस्टर लेट लतीफ
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सुन्दर अभिव्यक्ति, स्वयं की कमी महसूस करना स्वयं को ठीक करने की ओर प्रथम कदम है।…. बहुत सुंदर
बहुत सारा धन्यवाद, आपकी बहुमूल्य टिप्पणी और समीक्षा निश्चित तौर पर मार्गदर्शक है, सादर अभिवादन
🙏🙏
Wow, kya baat hai, very nice
बहुत बहुत धन्यवाद जी, यूँ ही हौसलाअफजाई करते रहें
काबिले तारीफ पंक्तियां
बहुत बहुत धन्यवाद ऋषि जी
सुंदर
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
जबरदस्त
सादर धन्यवाद
Good
Thanks
बहुत सुंदर पंक्तियां
सादर धन्यवाद
very nice
Thanks ji
बहुत सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति
आपको बहुत बहुत धन्यवाद
सादर अभिवादन इन पंक्तियों पर
धन्यवाद