आकाश
बिम्ब बनाना चाहता हूँ
तेरा आकाश,
मगर कहाँ से शुरू करूँ
सोच रहा विश्वास।
सोच रहा विश्वास,
इस कदर विस्तृत है तू
आदि अंत का नहीं
पता बस विस्तृत है तू।
कहे लेखनी भानु,
चमकता जीवनदायी,
चंदा-तारे, नखत,
सभी ने छवि बिखरायी।
बिम्ब बनाना चाहता हूँ
तेरा आकाश,
मगर कहाँ से शुरू करूँ
सोच रहा विश्वास।
सोच रहा विश्वास,
इस कदर विस्तृत है तू
आदि अंत का नहीं
पता बस विस्तृत है तू।
कहे लेखनी भानु,
चमकता जीवनदायी,
चंदा-तारे, नखत,
सभी ने छवि बिखरायी।
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बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
कवि की अभिलाषा
सादर धन्यवाद
कहे लेखनी भानु,
चमकता जीवनदायी,
चंदा-तारे, नखत,
सभी ने छवि बिखरायी।
____________नभ की प्राकृतिक सुन्दरता का बहुत ही खूबसूरती से वर्णन करती हुई कवि सतीश जी की बहुत सुन्दर कविता ।शानदार शिल्प और उत्कृष्ट भाव सहित उम्दा प्रस्तुति
बहुत सुंदर समीक्षा की है आपने। इस समीक्षा शक्ति को सादर अभिवादन
अतिसुंदर
बिम्ब बनाना चाहता हूँ
तेरा आकाश,
मगर कहाँ से शुरू करूँ
सोच रहा विश्वास।
सोच रहा विश्वास,
इस कदर विस्तृत है तू
आदि अंत का नहीं
पता बस विस्तृत है तू।
कहे लेखनी भानु,
चमकता जीवनदायी,
चंदा-तारे, नखत,
आकाश की सुंदरता का बखान करती हुई रचना