आप आए बहार आई

जब लिखता था मैं, ग़ज़ल मयखाने में,
तब सुबह से शाम हो जाया करता था।
ए दोस्त जब वह आते थे सज धज कर,
तब मेरी जान में जान आ जाया करता था।।

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