“आर्थिक महामारी”
ये शारीरिक महामारी है या
मानसिक महामारी?
मुझे तो ये लगता है कि
ये है आर्थिक महामारी
कोई कहे अदृश्य इसे तो
कोई बोले दृश्य
इस महामारी ने लूट लिये
चलते फिरते मनुष्य
कैसे घर में बैठे सब हैं
रोटी को हैं लाले
किसी गरीब से जाकर पूँछो
उसने कैसे बच्चे पाले!
जूझ रहे आर्थिक तंगी से
जाने कितने परिवार
हाय! ये कैसी महामारी आई दुखी हुआ संसार।।
यथार्थ चित्रण
बहुत-बहुत धन्यवाद
कविता में वास्तविकता साफ आईने की तरह झलक रही है। बहुत सुंदर चित्रण है
इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए धन्यवाद
बहुत सुंदर
धन्यवाद