“आसमां और जमीं”

किनारे पर बैठकर क्यों
नाव का इंतजार करते हो!
छुपाते हो, डरते हो,
फिर भी प्यार करते हो
नेह की चादर में जिस दिन
सोए थे तुम संग
हम जान गए थे
हमसे कितना प्यार करते हो
मुझसे दूरियों को सह नहीं पाते पिघलते हो
बूंद बनके तुम मेरी जमीन पर बरसते हो
लोग कहते हैं बरसात हो रही है
देख लो
हम जानते हैं वेदना में तुम
सिहरते हो
ओ आसमा ! तुम मुझसे कितना
प्यार करते हो
मैं जब भी तुम्हारी वेदना में तप्त होती हूँ
पिघल-पिघल के तुम बूंद बनके
आ मुझ में मिलते हो।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close