आसमान और में
बादलों का गुनाह नहीं की वो बरसते हैं,
हमने भी कभी चाहा नहीं फिर भी उनके लिए तरसते हैंl
ऐसे बादल अपना दिल हल्का करते है,
और ऐसे हम अपना दिल भरते हैंl
चाहे जिन्हे दूर से दुनिया, वो बादल भी रोते हैं,
और वो भी हमे नहीं चाहते, ये सोच कर हम अपनी पलकें भिगोते हैl
वो तो बारिश बोलकर खुले मन से रो लेते हैं,
और हम सबको झूठी मुस्कान दिखाकर पलकों तक ही रोक लेते हैंl
गैरों से क्या शिकवा अपनों ने ही गैर किया ,
समझ नहीं पाए कभी ऐसा क्या हमने वैर कियाl
खुश खुश रहने वाले चुप चुप रहते हैं,
लोगों से गिरे हैं फिर भी तन्हा तन्हा रहते हैंl
कैसे हो तुम कोई पूछे तो मुस्कुरा देते हैं ,
वरना अपनी नजरों से बता देते हैंl
दिखते हैं हम शांत और मुस्कुराते हुए,
उन्हें क्या पता जख्म सीने पर कितने खाए हुए हैंl
हमारा तो दुबारा जीना मुश्किल है ,
पता नहीं लोग कैसे अपना दिल बहला आए हुए हैll
आयुषी
Responses