आहिस्ता-आहिस्ता रखना कदम

आहिस्ता-आहिस्ता रखना कदम
इन नाजुक पगडंडियों में
वक्त सो रहा है
रात के सन्नाटे में
चांदनी रात के आँचल तले
खोया है कांच के सपनों की दुनिया में
तुम्हारे क़दमों की इक आहट से
कहीं बिखर न जाये
उसकी कांच के सपनों की दुनिया
आहिस्ता-आहिस्ता रखना कदम
कांच का कोई खवाब टूट न जाये
तन्हाई के आगोश में उड़ने दो
स्वेत कांच के टुकड़ों को
हवा के इक नन्हे झोंके से
कांच के ये टुकड़े जब टकराते हैं
जैसे पायल कोई झूम उठी
आहिस्ता-आहिस्ता रखना कदम

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