इतना हो कि

🌹इतना हो कि 🌹

इतना हो कि
मेरी यादें तुम मिटा दोगे
ये बात खुद को मै समझा सकूँ ||

इतना हो कि
तुम बिन मैं जीवन को अपने
पूरी तरह से कभी पा न सकूँ ||

पत्थर की दीवार जैसा
मन-जिगर बनाए तुम्हारी आरजू से
तुमने ही सौंपी फूलमाला तहसनहस कर सकूँ

इतना हो कि
सुख के बदले दुःख भुला न सकूँ
बेवफाई से और बड़ा कोई दुःख न पाऊँ

इतना हो कि
किसी का किसी के लिए रुकता नहीं
ये अपने आप को मैं समझा सकूँ

—–चारुशील माने (चारागर)
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