इल्तिजा

आशिक़ो के मज़ार के करीब,
ए खुदा दो गज़ ज़मीन दे देना।
गर हो गए वो वफा से बे- वफा,
तो सुन मुझे वहीं दफ़ना देना।।

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Responses

  1. श्रृंगार के वियोग पक्ष की सुंदर प्रस्तुति है। अरबी-फारसी शब्दों का प्रयोग काव्यानुरूप है। वाह

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