Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994” किसी भी यात्रा का उद्देश्य सिर्फ मौजमस्ती व् पिकनिक मनाना ही नहीं होता | यात्राएं इसलिए की जाती हैं…
हम उस देश के वासी है ।।
हम भारत के वासी है, संस्कृति हमारी पहचान है । सारी जहां में फैली हुई, हमारी मान-सम्मान है । सादगी है हमारी सबसे निराली, अजब…
प्रतीक बन जा
कठिन पथ पे चलकर, फतह हासिल करने की तू प्रतीक बन जा ! स्वमेहनत से कुछ ऐसा कर, सभी के मन की तू मुरीद बन…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
खयाले यार से दिल खुशगवार कर लेंगे
खयाले यार से दिल खुशगवार कर लेंगे मिला न तू तिरे ख्वाबों से प्यार कर लेंगे नसीब सबको नहीं हैं गुलाब की राहें नहीं हैं…
बहुत बढ़िया
धन्यवाद जी
Bahut ache
सादर धन्यवाद जी
Atisunder
सादर धन्यवाद जी
धन्यवाद जी