एक पहेली

तुम एक पहेली सी लगती हो
समझ ही नही आती हो

जब मैं खुश होती हूँ
तुम दूर खड़ी मुस्कुराती हो
जब मैं पीड़ा में होती हूँ
तुम धीरे से कंधा सहलाती हो

जब खुद को दर्पण में देखती हूँ
बहुत बार तुम से ही मिल जाती हूँ
जब भाई बहन से मिलती हूँ
तेरी ही परछाई को छू लेती हूँ

जब अपने बच्चों को प्यार करती हूँ
खुद को तेरी ममता में लिपटा पाती हूँ
जब विपदा में खुद को पाती हूँ
तेरी दी शिक्षा से ही आगे बढ़ पाती हूँ

हर पल अंग संग रहती हो
फिर क्यो बातें अधूरी रह जाती है
दिल में कसक अनोखी उठती है
खबावों में भी वीरानी सी बहती हैं

तभी तो पहेली सी लगती हो
समझ ही नहीं आती हो।।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

  1. जब मैं खुश होती हूं, तुम दूर खड़ी मुस्कुराती हो
    जब मैं पीड़ा में होती हूं तुम धीरे से कंधा सहलाती हो,
    बहुत सुंदर रचना

  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी
    माँ सच में बहुत प्यारी होती है

+

New Report

Close