एक शाम के इंतज़ार में
कोई शाम ऐसी भी तो हो
जब तुम लौट आओ घर को
और कोई बहाना बाकी न हो
मुदत्तों भागते रहे खुद से
जो चाहा तुमने न कहा खुद से
तुम्हारी हर फर्माइश पूरी कर लेने को
कोई शाम ऐसी भी तो हो
जब तुम लौट आओ घर को
और कोई बहाना बाकी न हो
मैं हर किवाड़ बंद कर लूँ
के कोई दरमियाँ आ न सके
बस ढलते सूरज की रौशनी में हम दोनों
कोई शाम ऐसी भी तो हो
जब तुम लौट आओ घर को
और कोई बहाना बाकी न हो
ढेरो शिकायतें शिकवे गिले
जो अब तक दिल में हैं दबे पड़े
उन्हें तुम्हारे सीने में छूप के कह लेने को
कोई शाम ऐसी भी तो हो
जब तुम लौट आओ घर को
और कोई बहाना बाकी न हो
हो हर सुबह शुरू तुमसे
और रात आँखों में कटे
जैसे लम्बे इंतज़ार की थकान बाकी न हो
कोई शाम ऐसी भी तो हो
जब तुम लौट आओ घर को
और कोई बहाना बाकी न हो
Nice
thank you
Nice one
thank you
Sundar rachana
dhnyawad
सुन्दर
shukriya
Aaoge jab tum saamne angna Phul khilenge
hahah, es gane ki line share karna ka tatparya
जब तुम लौट आओगे तो अंगना फूल खिलेंगे
दिल बाग बाग हो जाएगा
haa sahi kaha
वाह
dhnyawad
dhnyawad
Nice