Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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हिंदी गंगाजल है ।।
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सही बात कही आपने
साहित्य को साहित्य की तरह लिखना चाहिए
उसमें कोई बैर नहीं करना चाहिए
हिंदी के साहित्य को बेहतर बनाने के लिए सावन का यह मंच बहुत ही सफल प्रतीत हो रहा है
यदि सावन जैसे मंच रहे तो
हिंदी दिन पर दिन प्रगति करेंगी इसमें कोई संदेह नहीं है
आप जैसे कवि सावन के मंच को सजाते रहते हैं
बहुत ही सुंदर पंक्तियां।।
धन्यवाद