कटु सत्य

दिल में कुछ ,जबान पर कुछ नजर आता है

अपनों में भी ,शत्रु नजर आता है

कुछ पलों की मुलाकात से ,पहचान नहीं सकते

किसी के ह्रदय में क्या है ,जान नहीं सकते

हर चेहरे के पीछे ,एक चेहरा छिपा होता है

जैसा जो दिखता है ,वो वैसा नहीं होता है

आंखें भी कई बार धोखा खा जाती हैं

ये भी चेहरों की भाषा ,पढ़ नहीं पाती हैं

जिंदगी के मंच पर हर किरदार ,एक चेहरे से ढका होता है

पर जाने क्यों इंसान का चेहरा ,उसके दिल के चेहरे से जुदा होता है

देखा है मैंने भी दुनियां में ,उन नकली चेहरों को

जो अपनों में, अपने पन की बातें करते हैं

दिल में कड़वाहट लेकर ,लोग चेहरे पर मुस्कराहट रखते हैं

आज की दुनियां में ,इतनी जल्द कुछ नहीं बदलता है

जितना की इंसान की नियत और नज़रिया बदलता है

ख्वाहिशें तो ,बादशाहों की भी पूरी हो न सकीं

फिर न जाने इंसान क्यों दो चेहरे लेकर जीता है

आज इंसान गिरकिट सा रंग बदलता है ,ठोकरें खाकर ही वो संभलता है

असली चेहरे के पिछे लोग,चेहरा नकली लगाते हैं

ज़ख्मों में नमक लगाते है,हाय तौबा मचाते हैं

तलाश कैसे करें इन्सानियत की,लोग कितने चेहरे पे चेहरे लगाते हैं

सोंचो तुमसे तो वो जानवर अच्छे ,जो भरोसे के लायक होते हैं

बहुत प्यार करते हैं हम अपनी,इन नकली सूरतों से

क्यूंकि हमारे जहां में असली सूरतों सा,जहाँ नहीं होता है

अगर बदलना है रूप ,तो अच्छाई के लिए बदलो

यही सोंच तुम्हे आगे ले जाएगी

तुमको तो ख़ुशी मिलेगी ,दूसरों को भी ख़ुशी दे जाएगी।।

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