कब तक उसे याद करूं
कल तक जो कहती थी, मैं नहीं साझा कर सकती अपने दिल का हाल, वो अब लबों से कुछ बोले जा रही है
सच कहूं तो दिल के राज धीरे से खोले जा रही है |
कल तक था जिसे शादी – ब्याह, फैशन से परहेज़, वो आज बाजार की रौनक बटोरे जा रही है
सच कहूं तो दिल के राज धीरे से खोले जा रही है |
कभी उसे भूल जाऊं ऐसा न हरगिज़ होगा, वो प्यार है मेरा और ताउम्र रहेगा !
उसे दिल में छुपाया है मैंने |
आज वो रिश्तों में बंधने का सपना संजो रही है
सच कहूं तो दिल के राज धीरे से खोले जा रही है |
बेवजह झूठ पर झूठ बोलना आदत थी जिसकी कभी
आज वो सच बोलने पर भी कसमें खाए जा रही है
सच कहूं तो दिल के राज धीरे से खोले जा रही है |
गुमसुम थी जो अब तक, खोई थी उसके ख्यालों में
आज वो अचानक अपने चाहने वालों का नाम गिना रही है
सच कहूं तो दिल के राज धीरे से खोले जा रही है |
सुंदर
Nice lines
बहुत ही सहज और सटीक रचना
इधर उधर घुमाते हुए नहीं
वरन् आपने सीधे
अपनी बात पहुंचाई है…
आगे भी आईये और सावन शोभा बढ़ाईये अपने साहित्यिक योगदान से…
सुन्दर
Very good
सुंदर