करुणाकर श्रीराम

दशरथ के घर जन्मे राम
पर आनन्द अवध में छाया है।
केवल कौशल्या कैकेयी नाहीं
हर घर हर नर मंगल गाया है ।।
हुआ विवाह राम का जब से
घर-घर मधुर सुमंगल छाया है।
वनवासी हो गए राम जी
हर जन मन घबराया कल्पाया है।।
वापस आए राम अवध में
जगर-मगर जग सब हर्षाया है।
‘विनयचंद ‘उस करुणाकर के
करुणा का पद एक गाया है।।

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