Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994”
“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994” किसी भी यात्रा का उद्देश्य सिर्फ मौजमस्ती व् पिकनिक मनाना ही नहीं होता | यात्राएं इसलिए की जाती हैं…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
नमन करो उन वीरों को
शहीदों को नमन ****** नमन करो उन वीरों को जिनसे से यह देश हमारा है उनके साहस के दम पर महफूज घरों में रहते हैं…
जय हिन्द जय भारत
धन्यवाद
Jai hind
Thanks
Jay Hind
जय हिंद
जय हिन्द
जय हिंद
जय हिंद
जय हिन्द
Waah
Thanks
बहुत सुंदर
सादर आभार
Atisunder
Thanks ji