कर्म ही तेरा स्वाभिमान है
कर्म किए जा ए इन्सान,
फल की चिंता मत करना
फल तो देगा ही भगवान।
महाभारत के दौरान,
अर्जुन के हृदय में उत्पन्न हुए थे
कुछ भ्रम-भाव,
उनका करने समाधान।
श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था,
अर्जुन की दुविधा को दूर किया था।
शरीर अस्थाई है आत्मा है स्थाई,
आत्मा अजर है आत्मा अमर है।
तन केवल आत्मा का परिधान है।
तेरा कर्म ही तेरा स्वाभिमान है
यही तो गीता का ज्ञान है।
कर्मों से ही हे मानव तेरा सम्मान है।।
_____✍️गीता
तेरा कर्म ही तेरा स्वाभिमान है
यही तो गीता का ज्ञान है।
कर्मों से ही हे मानव तेरा सम्मान है।।
—— बहुत सुंदर पंक्तियां, उच्च स्तरीय कविता
इस बेहतरीन समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी।
बहुत खूब, बढ़िया रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद सर 🙏
कर्म किए जा ए इन्सान,
फल की चिंता मत करना
फल तो देगा ही भगवान।
महाभारत के दौरान,
अर्जुन के हृदय में उत्पन्न हुए थे
कुछ भ्रम-भाव,
उनका करने समाधान।
बहुत खूब कर्म पथ पर बढ़ने के लिए अग्रसर करती रचना
आपकी सुंदर समीक्षा हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
आपके लिए दिल में सदा ही प्रेम रहेगा
कर्म ही सफलता की कुंजी है
समीक्षा हेतु आभार सर