Categories: शेर-ओ-शायरी
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
ग़ज़ल
2.01(63) मैं ! तुझे छू कर; ‘गु…ला…ब’ कर दूँगा ! ज़िस्म के जाम में, ख़ालिस शराब भर दूँगा !! तू; मेरे आगोश में, इक बार…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
संस्कार
संस्कार बदलते दौर के साथ बदल गया संस्कार पैसे की होड़ में बिक कर रह गया संस्कार पैर छूने की परम्परा है विलुप्त के कगार…
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